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संदेश

मई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हवा

हवा बहती है हवा कुछ कहती है हवा, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती तब भी नहीं, जब वह/बहुत तेज़ बहती है केवल बालों से खेलती है कपड़ों को अस्त व्यस्त कर देती है फिर भी, नुकसान नहीं पहुंचाती उस समय  भी नहीं जब वह आँधी होती है तब वह उखाड़ फेंकती है उन कमजोर पेड़ों और वस्तुओं को जो/नाहक अपने अहंकार में उसका रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं ऐसे ही कमजोर और अपनी जड़ से उखड़े हुए दूसरे कमज़ोरों को नुकसान पहुंचाते हैं हवा मंद मंद हो या तीव्र एक ही संदेश देती है फुसफुसाते हुए या गरजते हुए- रास्ता मत रोको खुद भी आगे बढ़ो दूसरों को भी बढ़ने दो बाधाओं को जड़ से उखड़ना ही है।  

नीम

मैंने नीम से पूछा- तू इतनी कड़वी क्यों है? जबकि, तू सेहत के लिए फायदेमंद है। नीम झूमते हुए बोली- अगर मैं कड़वी न होती तो, तुझे कैसे मालूम पड़ता कि कड़वेपन के कारण सेहतमंद नीम की भी कैसे थू थू होती है।

मैं

मैं पंडित हूँ, लेकिन लिखता नहीं, मैं मूर्ख हूँ, लेकिन दिखता नहीं। ताकत को मेरी तौलना मत यारो, महंगा पड़ूँगा कि मैं बिकता नहीं। 2 तुम जो साथ होते हो, साल लम्हों में गुज़र जाता है। जब पास नहीं होते लम्हा भी साल बन जाता है। 3 लम्हों की खता में उलझा रहा मैं सालों तक, होश तब आया जब बात आ गयी बालों तक। 4 ज़रूरी नहीं कि हम सफर ही साथ चले, कभी राह चलते भी साथ हो जाते हैं। अजनबी तबीयत से उबरिए मेरे दोस्त, कुछ दोस्त ऐसे भी  बनाए जाते। 5 मैं पगडंडियों को हमसफर समझता रहा, जो हर कदम मेरा साथ छोड़ती रहीं। 6. इस भागते शहर में रुकता नहीं कोई केवल थमी रहती है राह सांस की तरह ।