रविवार, 14 अक्टूबर 2012

मुंगेरीलाल के सपने

मैं मुंगेरीलाल हूँ
मैं सपने देखता हूँ ।
अरे तुम हँसे क्यों
मेरी आँखें
क्यों नहीं देख सकती सपने 
हर आँखों में नींद होती है
सपने होते हैं
सोने के बाद
सभी आँखें सपने देखती हैं
मैं भी देखता हूँ
शायद तुम यह सोचते हो कि
मेरे सपने तो
मुंगेरीलाल के सपने हैं
जो पूरे नहीं हो सकते
लेकिन, बंधु
हमारे देश के कितने लोगों के
सपने पूरे होते हैं
ज्यादातर सपने तो
जागने से पहले ही बिखर जाते हैं
कुछ आंखे तो
 सपनों के बिखरने के लिए आँसू बहाती हैं
इसके बावजूद
अगले दिन फिर सपने देखती हैं
हमारे देश में
मुंगेरीलाल सपने ही तो देख सकता हैं।
 

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