सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ऋतु माँ

उस दिन आँख खुली
बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी
बारिश की बूंदे
मेरे घर की खिड़कियाँ पीट रही थीं
मानो कह रही हों-
उठो मेरा स्वागत करो.
मैं उठा,
खिड़की खोलने की हिम्मत नहीं हुई
तेज़ बूंदे अन्दर आकर
घर को भिगो सकती थीं.
इसलिए बालकॉनी पर आ गया
बारिश के धुंधलके के बीच
कुछ देखने का प्रयास करने लगा
तभी बारिश के शोर को चीरती हुई
बच्चे के रोने की आवाज़ कानों में पड़ी
मैंने ध्यान से दखा
सामने के फूटपाथ  पर
एक औरत बैठी थी
उसकी गोद में एक बच्चा था
चीथड़ों में लिपटा हुआ
औरत खुद को नंगा कर
किसी तरह बचा रही थी अपने लाल को
और बच्चा था कि
हाथ पांव फेंकता हुआ
आँचल से बाहर आ जाता
मानों बारिश का स्वागत कर रहा हो
बूंदों को अपनी नन्हे सीने में समेट लेना चाहता हो
कुछ बूंदे चहरे पर पड़ती
तो बूंदों के आघात और ठण्ड के आभास से
बच्चा थोडा सहम जाता और फिर खेलने लगता
बारिश बीती सर्दी आई
औरत कि मुसीबत कुछ ज्यादा बढ़ गयी थी
वह खुद को ढके या लाल को
कहीं से एक फटा कम्बल मिल गया था शायद
वह साबुत हिस्सा बच्चे को उढ़ा देती
मैंने देखा रात में कई बार
वह फटे कम्बल में ठिठुरती रहती थी
मगर बच्चे के लिए
अपनी छातियों की गरमी कम नहीं करती थी.
सर्दी बीती
औरत की मुसीबत थोड़ी कम हुई
पतझड़ में पत्ते झरने लगे
नन्हे बच्चे पर गिरने  लगे
बच्चा ऊपर से गिरते पीले पत्तों को निहारता
पुलकित होकर पकड़ने की कोशिश करता
कोई पत्ता चहरे  पर आ गिरता
वह चेहरा दांये बांये कर  गिराने की कोशिश करता
गिरते पत्तों को हाथों से पकड़ कर खेलना चाहता
औरत अपने नन्हे  खिलाड़ी को
कौतुक भरे नैनों से निहारती
पेड़ हरे हो  गए
बच्चा भी थोडा बड़ा हो गया था
मगर गरमी असहनीय थी
औरत पेड़ की छाया में एक पालना बना कर
बच्चे के सर पर मैले कपडे की छाया कर
काम पर चली जाती
थोड़ी थोड़ी देर में उसे देख भी जाती
जगा होता तो थपकती, कुछ खिलाती
गर्मियों की रातों में
मैंने बच्चे की रोने की आवाज़ सुनी है
गरमी से बिलखते बच्चे को
टूटे पंखे से हवा करती औरत को देखा है
शायद अपने लाल को सुलाने के लिए
वह रात भर पंखा झलती रहती होगी
क्यूंकि,
कुछ समय बाद बच्चा चुप हो जाता था
सर्दी, गरमी, पतझड़ और बरसात में
मैंने बच्चे के लिए
उस औरत के नए नए रूप देखे हैं
इसलिए मैंने उसे नाम दिया है-
ऋतू माँ.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तनाव

जब तनाव अधिक होता है न  तब गाता हूँ  रोता नहीं  पड़ोसी बोलते हैं-  गा रहा है  मस्ती में है  तनाव उनको होता है  मुझे तनाव नहीं होता। 

अंततः अश्व: तीन हाइकु

अश्व की शक्ति  मनुष्य का मस्तिष्क  घर मे बंधा।  2  अश्व की गति  मनुष्य से स्पर्द्धा मे   कोसों दूर है । 3  अश्व की निष्ठा  मानव का विश्वास  अश्व विजयी। 

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...