सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सान

कातिलों के बाजुओं की फिक्र नहीं मुझे, हथियारों में उनके इतनी सान नहीं होती है। डर लगता है उन बददुआओं के नश्तरों से मुझे जिन बेबसों की कोई जुबान नहीं होती है।

पांच क्षणिकाएं

किसी ने देखा नहीं कोई देखता भी नहीं लेकिन देखो तो तुम्हारी चौपाल में कैसे कैसे लोग कैसे कैसे फैसले लेते हैं लोकतंत्र हत्यारे अपराधियों को बचाते हैं खुद को लोक सभा कहते हैं. (२) सेनाएं कभी नहीं हारतीं हारते हैं वह लोग जो डरते हैं मौत से।  (३) प्रधानमंत्री ने आज़ाद कर दिया रस्सी खींच कर हवा में झंडे को।  (४) मांसाहारी होते हैं वो जो लोगों को समझते हैं भेड़ बकरी। (5) आम तौर पर मरते हुए लोग आँख खोल कर इसलिए नहीं मरते, कि, उन्हे मोह है रहता है इस दुनिया का ! बल्कि, खुली रहती है उनकी आँखें इस आश्चर्य में कि इतने सारे लोग  फिर भी ज़िंदा रहेंगे। जो शाम निकले थे सुबह की किरण ढूँढने रात सो कर सुबह के उजाले में खो गए। जिन्होंने जलाये रात जाग जाग कर सूरज हजारों ख्वाबों हो गये.   

मूंछ नहीं पूंछ

अफसोस ! मेरे एक पूंछ नहीं मूंछ है पूंछ होती तो हिला लेता भ्रष्टाचार के महाकुंभ में कुछ कमा लेता मूंछ मूंछ होती है आज के जमाने में पूछ नहीं होती है तभी तो तमाम मूंछ वाले मूंछे कटा कर दुम बना कर सत्ता के आगे पीछे हिला रहे हैं भ्रष्टाचार के कुम्भ में जा कर पाप नाशनी गंगा में नहा कर हर हर चिल्ला रहे हैं जनता की कमाई हर कर  खूब कमा रहे हैं।   

कुत्ते की मौत पर

मेरी गाड़ी से कुचल कर एक कुत्ता मर गया मैं दुखी था कुत्ते की मौत पर मगर  दुखी नहीं हो सकता था क्योंकि, मेरे मोहल्ले में सभी धर्मों और उनके अंदर जातियों के लोग रहते हैं और सेकुलर भी।

माँ का चैन

बच्चों के स्कूल खुल गए हैं, माँ सुबह उठ कर जल्दी कुल्ला मंजन कर चौके में घुस गयी है वह नाश्ता बनाती, टिफ़िन पैक करती है फिर बच्चों को ड्रेस पहना कर टिफिन बस्ते में ठूंस देती है बच्चे माँ के गालों को चूम कर चिल्लाते हुए टाटा टाटा कह कर चले जाते हैं माँ पसीना पोंछती हुई सोफ़े पर बैठती है और ज़ोर से चैन की सांस लेती है । बच्चों के जाने के बाद माँ क्यों लेती है चैन की सांस !     

माँ का व्रत

माँ हमेशा व्रत रखतीं कभी पति के लिए कभी लड़का पैदा होने के लिए कभी संतान की मंगलकामना के लिए तो कभी घर की खुशहाली के लिए मैं सोचता- माँ अपने लिए व्रत क्यों नहीं रखती हम लोगों के लिए व्रत रखने वाली हमे भरपेट खिला कर आधा अधूरा खा कर रह जाने वाली माँ व्रत ही तो रखती थी!

नियंत्रण

सुबह सुबह घड़ी ने चीखते हुए कहा- उठो उठो, शायद तुम्हें कहीं जाना है। आज उसकी चीख से झल्लाया हुआ मैं बोला- ऐ घड़ी, तू मशीन होकर मुझे निर्देश देगी! घड़ी बोली- तुमने खुद ही तो सौंपा है अपना नियंत्रण मुझे।