सेवा-काल का एक किस्सा
मेरे एक विभागीय निर्देशक ने मेरी चरित्र पंजिका में मेरा असेसमेंट करते
हुए मुझे गुड यानि अच्छा लिखा.
यहाँ बता दूं कि राज्य सेवा में प्रोनत्ति का एक ऐसा दौर आता है, जब आपका गुड या
सामान्य असेसमेंट किसी काम का नहीं होता. अगर आपको पदोन्नति लेनी है तो आउट
स्टैंडिंग प्रविष्टि लेनी होगी. परन्तु, अगर आप अपने विभागाध्यक्ष के अनुसार आउट
स्टैंडिंग काम नहीं करते तो वह आपको क्यों आउट स्टैंडिंग लिखेगा. मेरे
विभागाध्यक्ष ने भी यही किया.
मैं विभागाध्यक्ष के पास गया. मैंने कहा- सर आपने तो मेरा अपमान कर दिया.
मुझे अच्छा लिख दिया. सर मै या तो उत्कृष्ट हूँ या निकृष्ट नहीं बैड. आपको मेरा आकलन
अच्छा नहीं करना चाहिए था. बैड लिख देते.
वह बिंदास बोले- अरे भाई, तुम लोगों को सजा देने के लिए बैड लिखने की क्या
ज़रुरत है. अच्छा या सामान्य लिख दो. जन्म भर प्रमोशन नहीं होगा. बैड लिख देता तो
आप जवाब देते, मुझे आपके
जवाब का जवाब देना पड़ता. इतना झंझट कौन करता.
मुझे उनकी बेबाकी अच्छी लगी. मैंने कहा- इस साफगोई के लिए धन्यवाद सर.
वैसे अगर आप मुझे बैड लिखते तो मैं वादा करता हूँ कि मैं आपके बैड एंट्री करवा
देता. आपके तमाम कारनामे तो मेरे पास हैं.
जयहिन्द.