शनिवार, 24 अगस्त 2019

अब भी !

बच्चा छोटा था 
वैसे ही, जैसे दूसरे बच्चे होते हैं 
बड़ी बड़ी मीठी बातें करने वाला 
बच्चा बड़ा हो गया है 
फिर भी 
बड़ी बड़ी, मीठी बातें करता है 
अब नेता हो गया है बच्चा 
आह, बड़ा अब भी नहीं हुआ । 

कैसे !!!

मुझे याद है
पिता ने सिखाया था चलना मुझे
यहॉं तक
कि, कैसे पकड़नी है उँगली !
कैसे नहीं छोड़ना है साथ !
मुझे हमेशा याद रही
उनकी यह सीख ।
इसे मैं कैसे भूल गया तब !
कमर दर्द से बेहाल पिता
जब सीधे चल नहीं पाते थे ।
झुक गयी थी कमर उनकी
अपनी उँगली पकड़ा नही पाया थोड़ा झुक कर
देखता रहता उदासीन उनको
बाथरूम जाते घिसटते हुए ।
कैसे भूल गया था मैं ? 

रविवार, 11 अगस्त 2019

कारण

बेशक शिकायत वाजिब है
कोई नहीं सुनता किसी की
क्या तुमने कुछ सुनाने की कोशिश की
सिर्फ शिकायत करना कोशिश नहीं ।

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रात के सन्नाटे में
उसकी चींख उभरी
और खामोश हो गई
अब झींगुर बोलने लगे थे।

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कोई कितनी भी कोशिश करे
किसी को समझाने की
बेकार है कोशिश
क्योंकि, समझने के लिए समझ भी ज़रूरी है।

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पहले हँसा
फिर रोया
फिर शून्य में झांकने लगा
दुःख व्यक्त करने के लिए ज़रूरी है यह।

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बेशक
कोई कुछ न करे
आदत है किसी की
लेकिन जब कोई कुछ करता है
सवाल न करे
यह आदत ठीक नहीं।


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मैं समझता रहा
कि सन्नाटा पसरा हुआ है 
सकपका गया मैं

मैं क्यों हूँ सन्नाटे में !


एक सपना


एक रात

वह मेरे ख़्वाब में आया

उसने

मेरे बाल सहलाये

मैंने आँखे खोली

वह मन्द मन्द मुस्कुराया

मैंने आँखें बन्द कर ली

बड़ा प्यारा सपना था

कैसे जाने दूँ

एक पल में आँखों से !