आसमान
हवा
पानी
और ज़मीन
सब मेरे
फिर भी
मैं भिखारी
फिर कैसा दाता !
२.
ऎसी घमासान
तू तू मैं मैं
कोई समूह नहीं
सिर्फ मैं
कहीं नहीं 'आप' !
३.
दिन
निकलता है
अँधेरे की गोद से
या अँधेरे को
उगलता है?
४.
बच्चा रोता नहीं
बहल जाता है
झुनझुने से
रोते बड़े हैं
बहलते नहीं
झुनझुने से।
हवा
पानी
और ज़मीन
सब मेरे
फिर भी
मैं भिखारी
फिर कैसा दाता !
२.
ऎसी घमासान
तू तू मैं मैं
कोई समूह नहीं
सिर्फ मैं
कहीं नहीं 'आप' !
३.
दिन
निकलता है
अँधेरे की गोद से
या अँधेरे को
उगलता है?
४.
बच्चा रोता नहीं
बहल जाता है
झुनझुने से
रोते बड़े हैं
बहलते नहीं
झुनझुने से।