शनिवार, 28 मई 2011

क्या बकवास है?

यह कौन सा शहर हैं यारों, जहाँ के रास्ते उलटे जाते हैं।
घरों को लौटते हुए लोग, घरों से दूर चले जाते हैं।
मैं सबसे छुपा हुआ था, रुसवाइयों के घेरे में।
लोग हंस रहे थे और मैं रो रहा था।
एक बार सोचो तुम कहाँ चले जाते हो,
लौटने की सोचते नहीं कि फिर लौट जाते हो।
चलो हटाओ कि जो हो गया सो हो गया,
राख हटती जाती है, मुर्दा नज़र आता है।
मैंने उन्हें अलविदा कहा, उन्होंने हाथ हिलाया
लौटा तो देखा कि पडोसी चला आ रहा था।

गुरुवार, 5 मई 2011

दोस्तों

ज़िन्दगी को इतना प्यार न कीजिये कि छूटने से डर लगे।
साँसों को इतना प्यार न कीजिये कि टूटने से डर लगे।
जो बना है वह एक दिन बिखरेगा भी,
उदासियों को इतना गले न लगिए कि हंसने से भी डर लगे।
दोस्तों हम किसी से कहते नहीं,
कि हमें कहने से डर लगता है।
दोस्तों हम किसी से छुपते नहीं,
कि बाहर आने से डर लगता है।
अब दोस्तों कुछ ऐसा हो गया है,
हम छुपते नहीं और डर नहीं लगता है।

रविवार, 1 मई 2011

चुभन

दिन की चुभन कुछ ऎसी होती है,
कि चाँद की चांदनी भी सताया करती है।
हम रात भर करवटे बदलते हैं,
कि ख्वाबों की ताबीर सताया करती है।
इंसानों ने इस कदर बदला खुद को,
मौसम ने बदलना छोड़ दिया है ।
इंसानों की फितरत है कुछ ऎसी
कि फलों ने महकना छोड़ दिया है।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...