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मई, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या बकवास है?

यह कौन सा शहर हैं यारों, जहाँ के रास्ते उलटे जाते हैं। घरों को लौटते हुए लोग, घरों से दूर चले जाते हैं। मैं सबसे छुपा हुआ था, रुसवाइयों के घेरे में। लोग हंस रहे थे और मैं रो रहा था। एक बार सोचो तुम कहाँ चले जाते हो, लौटने की सोचते नहीं कि फिर लौट जाते हो। चलो हटाओ कि जो हो गया सो हो गया, राख हटती जाती है, मुर्दा नज़र आता है। मैंने उन्हें अलविदा कहा, उन्होंने हाथ हिलाया लौटा तो देखा कि पडोसी चला आ रहा था।

दोस्तों

ज़िन्दगी को इतना प्यार न कीजिये कि छूटने से डर लगे। साँसों को इतना प्यार न कीजिये कि टूटने से डर लगे। जो बना है वह एक दिन बिखरेगा भी, उदासियों को इतना गले न लगिए कि हंसने से भी डर लगे। दोस्तों हम किसी से कहते नहीं, कि हमें कहने से डर लगता है। दोस्तों हम किसी से छुपते नहीं, कि बाहर आने से डर लगता है। अब दोस्तों कुछ ऐसा हो गया है, हम छुपते नहीं और डर नहीं लगता है।

चुभन

दिन की चुभन कुछ ऎसी होती है, कि चाँद की चांदनी भी सताया करती है। हम रात भर करवटे बदलते हैं, कि ख्वाबों की ताबीर सताया करती है। इंसानों ने इस कदर बदला खुद को, मौसम ने बदलना छोड़ दिया है । इंसानों की फितरत है कुछ ऎसी कि फलों ने महकना छोड़ दिया है।