मंगलवार, 29 मार्च 2011

बक़वास

मुझे किसी से डर लगता नहीं जनाब, क्यूंकि डराने वाले जहाँ में बहुत से हैं। मुझे मरने का कोई खौफ नहीं क्यूंकि मारने वाले बहुत से हैं। मैं मिलना चाहता हूँ नए चेहरों से, पर नकली मुखौटे यहाँ बहुत से हैं।

सोमवार, 14 मार्च 2011

वक़्त

मैं वक़्त के साथ कुछ इस तरह तेज़ चला,

अपने छूटते चले गए मैं तन्हा रह गया ।