सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नाम

क्या तुम   मुझे जानते हो !   नहीं बिलकुल नहीं   तुम मुझे नहीं जानते   तुम मेरा नाम जानते हो बस !       २-   नाम क्या है ?   उसने जग में बड़ा नाम किया   उसने नाम बदनाम कर दिया   पर यहाँ नाम था   तुम्हारा दिया हुआ   वास्तव में यह नाम नहीं था.       ३-   रावण कौन था ?   इस प्रश्न के भिन्न उत्तर मिलेंगे   रावण प्रकांड पंडित था   रावण दुष्कर्मी था   राक्षस था   असल में वह क्या था   उसका नाम कोई नहीं जानता !       ४-   नाम क्या है ?   नाम अपने आप में अर्थ है   कर्मों का   जो आप कर जाते है।             ५-   नयनसुख अँधा है   दरिद्र नारायण सेठ है   नेता वाचाल है   बहरा श्रोता है   लखपत की एक पत्नी है   नाम में क्या रखा है ?

विषय

हास्य का अंत है  इति'हास  यानि अतीत का रोनाधोना.  २  गणित  अंकों का जोड़-घटाना-गुणा-भाग  ठीक रिश्तों की तरह  जहाँ अंततः  रिश्तेदार भाग जाते है। 

कौन सी धूप हो!

एक धूप होती है  जमीन से उठ कर  चढ़ती जाती है  राहगीर के सर तक  ग्रीष्म मे यह धूप  व्याकुल कर देने वाला ताप देती है फिर धराशायी हो जाती है  शरद ऋतु में धूप  नर्म ताप देती है  राहत देने वाला  यह धूप भी  धराशायी हो जाती है  पर यात्री को  प्रतिक्षा रहती है  शरद की धूप की।  तुम  क्या हो ?

यह कैसी दूरियां !

उस दिन बेटी को  ऑफिस से कन्फर्मेशन लेटर मिला था। दो तीन दिन से घर का माहौल टेंस था।  ऐसा लगा कि ऑफिस में सब कुछ ठीक नहीं है। कदाचित इसलिए तनावपूर्ण वातावरण स्वाभाविक भी था।  ऐसे में कौन अप्रभावित रह सकता है! माँ भी अछूती नहीं थी।  माँ , अपनी बेटी के साथ , पति की इच्छा के विरुद्ध अपना प्रदेश , अपना नगर छोड़ कर , प्रदेश प्रदेश , नगर नगर साथ साथ या पीछे पीछे चल रही थी।   बेटी के जीवन को सुगम और सुचारु चलाने के लिए।   ऐसे में बच्चों से अपेक्षाएं भी हो जाती है।   यहाँ बता दूँ कि बेटी विवाहित थी।   एक बेटी की माँ।   आठ साल की बेटी।   स्कूल जाने वाली। माँ इन सब को सम्हाले रहती।   अस्वस्थता और शारीरिक कष्ट के बाद भी चौका बर्तन सम्हाले रहती।   नातिन को पुचकारती , सम्हालती , स्कूल के लिए तैयार करती।   ऐसे में स्वाभाविक था कि दूसरी ओर से भी अपेक्षाएं   होना   ।   उस दिन बेटी को कन्फर्मेशन मिला। उस दिन   वह घर आई।   खाना खाया। और   पति और बेटी के साथ घर से बाहर निकल गई।   पैर का कष्ट झेल रही...