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क्या मुख्य सचिव की पेंशन न करें तो सबकी पेंशन हो जायेगी ?

यह वाकया पेंशन निदेशालय का है। 
वहां के एक जॉइंट डायरेक्टर के पास एक पत्रकार महोदय पहुंचे। बोले आपके खिलाफ खबर है। पूछा - क्या खबर है ? बोले- आप आईएएस की पेंशन ज़ल्दी कर देते हो. अभी पिछले दिनों ही मुख्य सचिव की पेंशन आते ही हो गई. 
जेडी बोले- बिलकुल ठीक कहा. ऐसा हुआ हुआ है. बताइए क्या कहना चाहिए था मुख्य सचिव को कि आपके जैसे मुख्य सचिव बहुत आते हैं. लाइन लगिए . तभी होगी? नहीं कह सकते. उनके घर तक पहुंचाए हैं पेंशन पेपर. आप ही बताइये आपका संपादक कहेगा किसी पेंशन के लिए तो हम नहीं करें. कह दें तुम्हारे जैसे संपादक बहुत से आते है. मैं तो दौड़ के कर दूंगा. कहेगा तो उसके ऑफिस भी भेज दूंगा उनका पीपीओ।  
उनका चेहरा देख कर जेडी थोडा रुका. बोला- तुम कहोगे, तो तुम्हारी पेंशन भी अभी हो जायेगी। क्या हर ऐरा गैरा पत्रकार हो सकता है ?
वह चुप। क्या बोले। उनका इंटरव्यू हो सकता था। 
जेडी ने फिर कहा- अच्छा होता, अगर आप यह सवाल ले कर आते कि फला फला की पेंशन इतने महीने या दिनों से नहीं हुई है। मैं आपको बताता। बता भी रहा हूँ। तीन तीन महीने से पेंशन नहीं हुई है। लेकिन, हमारे निर्देशक लगे है इसे १० दिन के अन्दर करने के लिए।  हम कर के दिखायेंगे। 
पत्रकार महोदय चले गए। पता चला कि पेंशन निर्देशालय के कर्मचारियों ने दबाव बनाने के लिए पत्रकार महोदय को भेजा था। 

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