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कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ?

कटप्पा ने अपने महिष्मति राज्य के महाराज और अपनी बहन के बेटे अमरेंद्र बाहुबली को क्यों मारा ? पूरे हिंदुस्तान को यह सवाल पूरे दो साल से मथ रहा था।  एस एस राजामौली ने फिल्म के अंत में कटप्पा से बाहुबली को मरवा कर, खुद उसी के मुंह से यह सवाल पुछवा दिया था कि मैंने बाहुबली को क्यों मारा ! यह इकलौता ऐसा सवाल था,  जिसे सभी पूछ रहे थे। इस  सवाल पर सभी भारतीय थे।  न कोई बिहारी था, न कोई बाहरी।  हर मुंह से अलग सवाल नहीं थे। अन्यथा हमारे देश में तीन तलाक़ क्यों ? बाबरी मस्जिद क्यों ढहाई गई ? बुर्के पर सवाल अलग।  बोलने की आज़ादी क्यों नहीं ? हिन्दू साम्प्रदायिकता और मुस्लिम साम्प्रदायिकता पर अलग अलग सवाल होते हैं।  यह सवाल ठेठ सांप्रदायिक होते हैं।  मसलन, किसी सवाल को केवल हिन्दू पूछता है तो किसी दूसरे सवाल को सिर्फ कोई मुसलमान ही या फिर सिर्फ सेक्युलर ही पूछता है। अब यह बात दीगर है कि कोई भी किसी सवाल का जवाब नहीं देना चाहता।  सिर्फ कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ही ऐसा इकलौता सवाल था, जो पूर्णतया सेक्युलर प्रकृ...

सवाल

सवाल यह नहीं कि तब क्या होगा लोग क्या कहेंगे मैं क्या कहूंगा सवाल यह है सबसे अहम् सवाल कि, तुम सवाल क्या करोगे ?

विचार

जहाँ जहाँ मैं गया निशान छोड़ता गया जहाँ मैं नहीं गया वहां भी पहुंचा एक मुंह से दूसरे मुंह एक दिमाग से दूसरे दिमाग पहुंच गया विचार क़ी तरह 

तुम भ्रमित !

तुम्हे दिशा भ्रम होता तो तुम त्रिशंकु लटके होते अंतरिक्ष में यह तो मतिभ्रम है जो औंधे पड़े हो ज़मीन पर।  

जब क्रोध आये तो......!

क्रोध किसे नहीं आता ! मुझे भी आता है।  आपको भी आता होगा।  क्रोध को इंग्लिश में एंगर और उर्दू में  नाराज़गी कहते हैं।  सेक्युलर अंग्रेजी बोलते हैं।  कहते हैं मुझे एंगर आ रहा है।  मैं एंग्री हूँ।  हिन्दू क्रोध करते हैं और मुसलमान तथा अन्य अल्पसंख्यक नाराज़गी ज़ाहिर करते हैं।  इसी कारण से हिंदुस्तान में सभी लोग एंग्री यंग या ओल्ड/ मेन/वीमेन हैं।  इस लिहाज़ से यह भी कहा जा सकता है कि क्रोध का कोई धर्म नहीं होता।  वह किसी को भी आ सकता है।  कहीं भी आ सकता है।  लोग स्कूल-कॉलेज, सड़क, दूकान, पार्क या फिर मंदिर और मस्जिद के बाहर भी लड़ सकते हैं।  मंदिर और मस्जिद के बाहर लड़ने के लिहाज़ से एंग्री मेन दो केटेगरी में आ जाते हैं।  जो मंदिर के लिए लड़े, वह सांप्रदायिक होता है।  वह दूसरे धर्म के लोगों को चैन से नहीं रहने दे सकता।  इसे सेक्युलर कथन कह सकते हैं।  मस्जिद के लिए लड़ने वाले लोग शतप्रतिशत सेक्युलर होते हैं।  इनका समर्थन करने  वाले लोग भी सेक्युलर होते हैं।  मस्जिद के लिए की जानी वा...