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मार्च, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाहर की दुनिया

एक घर में दो दुनिया होती हैं बेटे के कमरे के अंदर  एक और बेटे के कमरे के बाहर दूसरी कमरे के अंदर बेटे के साथ उसकी पत्नी और बेटा  होते हैं वह बच्चे से खेलता, हँसता और लाड़ करता है बीच बीच में पत्नी को भीनी मुस्कुराहट के साथ देखता आँखों ही आँखों में शरारत भरे संदेश देता है पत्नी उसी प्रकार से जवाब देती है, मुस्कुरा कर, नाज़ दिखा कर नखरे करते हुए लेकिन, बेटे के कमरे के बाहर की दुनिया.....! बिल्कुल अलग होती है इस दुनिया में एक बूढ़ी, कमजोर और टूटी हुई माँ रहती है जो सब खो चुकी है पति, खुशी और स्वास्थ्य उसे नहीं मिलता बेटे का स्नेह और बहू का सम्मान पोता भी उसे मुंह बिचका कर देखता है वह पकड़ना चाहती है पर वह तेज़ी से निकल जाता है, पकड़ से बाहर कमरे के अंदर से आती हंसी और उल्लास की ध्वनि माँ के कानों को अच्छी लगती है उसके चेहरे पर तिर जाती है वह पुरानी शर्मीली मुस्कुराहट जब पति जवान था, बेटा छोटा था उसकी आंखे टिकी रहती हैं बेटे के कमरे के दरवाजे पर कि शायद दरवाजा खुले कमरे के अ...

होली का त्योहार

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होली हाइकु

होली के रंग साजन संग गोरी लाल गुलाल। 2- होरिया मन कस्तुरी गंध फैली होली आयी रे। 3- पूर्ण चंद्रमा होली जलाते लोग कल होली है। 4- उनींदा सूर्य सिर चढ़ी भंग है होली है भाई। 5- रंगीन पानी बूढ़ा भया जवान होली मनाएँ।

अंधे की सुंदरी

एक अंधा लड़का आ खड़ा होता रोज ही अपने घर की खिड़की पर महसूस करना चाहता अपनी नाक, कान और त्वचा से प्रकृति को पक्षियों का चहचहाना सुनना ठंडी हवा के झोंकों के साथ सुगंध- दुर्गंध का अनुभव करना चाहता एक दिन, उसके घर की खिड़की के ठीक सामने की खिड़की खुली एक खूबसूरत स्त्री आ खड़ी हुई युवक को स्वर्गिक सुगंध की अनुभूति हुई वह भरता रहा फेफड़ों में  वह स्वार्गिक सुगंध रोज चलता रहा यह सिलसिला एक दिन लड़की की दृष्टि एकटक निहारते लड़के पर पड़ी लड़के की बेशर्मी पर लड़की को थोड़ा क्रोध आया उसने खिड़की बंद कर ली फटाक से लड़का अविचलित रहा खिड़की बंद होने की आवाज़ कहाँ सुनाई दी थी उसे दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ और उसके बाद के दिनों में भी एक दिन लड़की को मालूम हुआ कि लड़का अंधा था अब वह थोड़ा आश्वस्त हो गयी अंधे के सामने वह कुछ हरकतें भी कर सकती थी मसलन बाल सुखाना, कंघी करना, सामने की ओर देख मुस्कराना कभी शरारत से हाथ हिला देना भी। लड़की सोचती अभागा है यह अंधा सामने खड़े अप्रतिम सौन्दर्य को देख नहीं सकता, प्यार नहीं कर सकता मेरी मुस्कराहट का प्रत्युत्तर नहीं दे...

द्रौपदी

आज भी द्रोपदी को कामुक निगाहें घूरती हैं लोग उसको नंगा होते देखना चाहते है। पर अब दुस्साशासन  द्रौपदी की चीर नहीं खींचता इसका यह मतलब नहीं कि, दुस्साशन सुधर गया है बल्कि, अब द्रौपदी साड़ी नहीं, मिनी पहनती है।  

मेघ

काले, घुमड़ते और गरजते मेघ की तरह तुम किसी बच्चे को सहमा सकते हो, डरा भी सकते हो लेकिन, अगर वह विचलित नहीं हुआ तुम्हारी गर्जना से बारिश की आशा से प्रफुल्लित हुआ तो तुम्हें बरसाना ही होगा।