सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

दीपावली पर

मैंने दीपावली की रात
एक दीपक जलाया ही था
कि तभी
तेज़ हवा का झोंका आया
लगा, नन्हा दीपक घबराकर काँप रहा है,
बुझने बुझने को है ।
मैंने घबराकर,
उसके दोनों ओर
अपनी हथेलियों की अंजुरी लगा दी।
हवा के प्रहार के साथ थोड़ा झूलने के बाद
दीपक की लौ स्थिर हो गयी
मैंने आश्वस्त होकर हथेलियाँ हटा ली।
यह देख कर दीपक ने पूछा-
तुम इतना घबरा क्यूँ गए थे?
अमावस की इस रात को
भरसक उजाला देने का दायित्व मेरा है
मुझे पूरी रात जलते रहने की कोशिश करनी है
रात भर ऐसे ही हवा के झोंके चलते रहेंगे
अभी तुम चले जाओगे
तब भी
हवा के ऐसे तेज़ झोंके आते और जाते रहेंगे
मुझे बुझाने की कोशिश करते रहेंगे
उस समय,
मुझे ही स्थिर रहना है,
विपत्तियों के इन झोंकों का
सामना करना है,
इन्हे परास्त करना है।
हो सकता है कि
जब तुम सुबह आओ
तो मुझे अधजला पाओ
मेरा तेल थोड़ा बचा, इधर उधर गिरा नज़र आए
ऐसे में तुम निराश मत होना।
बस इतना करना
बचे खुचे तेल में
नया तेल डाल कर
फिर से मुझे जला देना
आखिर
अंधकार को भगाने का प्रयास
कल भी तो करना है।
         (२)

जब दीवाली का
पहला दिया जलेगा,
तब रात्रि का अंधकार मिटेगा नहीं
लेकिन यह दिया
आशा का दीप होगा
जो अंधकार को मिटाने की प्रेरणा देगा।
फिर उस एक दीप से
अन्य दीप जलेंगे
और उनके प्रकाश में
अन्तर्मन तक अंधकार भाग जाएगा।

                (३)
तेज़ हवा से काँपते दीपक की तरह
बीमार दादा जी का जीवन दीपक बुझ गया है।
मेरे लिए अच्छी खबर यह है कि
उनका बचा हुआ तेल
जो लाखों की जायदाद के रूप मे है
मेरे लिए बच गया है।


                (४)
दिए की बाटी
अपना मुंह जलती है
तेल की एक एक बूँद सोख कर
प्रकाश फैलाती है.
अपने लिए कुछ भी नहीं बचाती
उसके जलने से दिया दीपक बनता है
पूरा जल जाने के बावजूद
उसका अस्तित्व उसके त्याग की याद दिलाता है.
वही दिया
अपना स्वार्थ देखता है
अपने में पड़ा तेल
सोख लेता है.
बाटी के माध्यम से
बिखरने वाली प्रकाश की आयु
कम कर देता है
इसलिए मट्टी का दिया
मिटटी में मिल जाता है.

            (५)
अमावस की रात
काली अंधियारी होती है
हाथ को हाथ नहीं सूझता
पर अमावस का एक सन्देश है
मैं अंधेरी काली हूँ
ताकि,
तुम नन्हे नन्हे ढेरों दीप जला सको.
उनके प्रकाश में
अपनी और दूसरों की
राह जगमगा सको

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तनाव

जब तनाव अधिक होता है न  तब गाता हूँ  रोता नहीं  पड़ोसी बोलते हैं-  गा रहा है  मस्ती में है  तनाव उनको होता है  मुझे तनाव नहीं होता। 

अंततः अश्व: तीन हाइकु

अश्व की शक्ति  मनुष्य का मस्तिष्क  घर मे बंधा।  2  अश्व की गति  मनुष्य से स्पर्द्धा मे   कोसों दूर है । 3  अश्व की निष्ठा  मानव का विश्वास  अश्व विजयी। 

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...