किसान आन्दोलन के पक्ष और विपक्ष में देखे और सुनने के बावजूद फेसबुक पर लटके वेताल ने हठ न छोड़ा. वह कंधे पर बोरा टांग कर मंडी की ओर निकल पड़ा. तभी झोले में स्थित काग्रेसी जिन्न ने कहा, "हे वेताल, तू मंडी जा कर क्या साबित करना चाहता है कि किसानों को भरपूर दिया जा रहा है, उनका शोषण नहीं हो रहा. अगर तुझमे किसानों के प्रति थोड़ी भी इज्ज़त है तो किसान से सीधे खरीद. यह सोच कर वेताल सुर से हट कर बेताल हो गया. वह अपने बोर को लेकर एक किसान के खेत जा पहंचा. किसान खेत में गेहूं की कटाई कर रहा था. एक तरफ दाने अलग किया हुआ गेहूं भी था. बेताल ने किसान से एक बोरा गेहूं देने के लिए कहा. बाज़ार भाव पर एक बोरा गेंहूं भर कर, कंधे पर लाद कर बेताल घर जा पहुंचा. बेताल परम संतुष्टि भाव से बेतालनी और जूनियर बेतालिनियों से बोला, "देखो मैं बिचौलियों को पीछे छोड़ कर सीधे किसान से गेहूं खरीद लाया हूँ. अब तुम लोग इसे भलीभांति साफ़ कर आटा बनाने के लिए कनस्तर में रख कर पिसा लाओ. इतना सुनते ही, बेतालनी और जूनियर बेतालानियों ने झाडुओं की बारिश कर बेताल को आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह बना दिया. वह बोली, "हमें तूने मज़दूर समझ रखा है कि हम गेंहूं साफ़ करेंगी और पिसाने के लिए जायेंगी.
सूना है इस झाडू पूजा के बाद मोहल्ले वालों बेताल को कंधे पर कनस्तर लादे
हुए किसी बीनने-पछोरने वाली को ढूढते हुए देखा.