गुरुवार, 15 मार्च 2012

महाकवि

मैंने
लिखी कुछ पंक्तियाँ
उन्हें नाम दिया कविता
उन्हें छपने भेजा
वह छपीं
प्रशंसा मिली
मैं कवि बन गया था।
मैंने और कविताएँ लिखीं
वह भी छपीं
इस बार प्रशंसा और पुरस्कार भी मिले
मैं खुशी और एहसास से फूल उठा
मैं बड़ा कवि बन गया था
अब मैं कविता नहीं लिखता
अब मैं लिखी कविताओं की आलोचना करता हूँ
कवि सम्मेलनों में कवि पाठ करता हूँ।
क्यूंकि
मैं अब कवि नहीं रहा
अब मैं महाकवि बन गया हूँ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें