गुरुवार, 14 नवंबर 2013

चाचा नेहरु

आटे का दूध पीता 
चावल का माड़ गटकता 
बासी रोटी को
ताज़ी के अंदाज़ में चबाता 

कोई न कोई बच्चा
आज यह ज़रूर पूछेगा-
माँ,
हमारे चाचा क्या करते थे !
तब माँ कहेगी-
बेटा, वह देश चलाते थे
दुनिया को शांति का सन्देश देते थे
उन्होंने ही
दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
गुट निरपेक्षता का सन्देश दिया
वह लालों के लाल थे
जवाहर लाल थे .
तब क्या
बेटा यह न पूछेगा कि
माँ...मेरी प्यारी माँ
चाचा देश चलाते थे,
पिता जी रिक्शा क्यों चलाते हैं
उन्होंने दुनिया को शांति का सन्देश दिया
हमें रोटी क्यों नहीं दे सके
दुनिया को गुट निरपेक्षता की
अहमियत बताने वाले चाचा
देश में गरीब और गरीबी की
अहमियत क्यों नहीं समझे
उन्होंने दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
हमें शीत से युद्ध करने के लिए क्यों छोड़ दिया
वह लालों के लाल जवाहर लाल थे
तो पिता कंगाल क्यों थे
क्या कहेगी माँ !









गुरुवार, 7 नवंबर 2013

पत्थर

रास्ते में पडा
एक पत्थर
रूकावट और ठोकर
या
पूजा
गढ़ कर ईश्वर
२-
पत्थर
खुद नहीं लगता
उठ कर ज़मीन से
एकाधिक हाथ
उसे फेंकते हैं सामने
यह भूलते हुए कि,
पत्थर
वापस आ सकते हैं.
३-
ईश्वर
हो सकता है
पत्थर
और पत्थर
हो सकता है
ईश्वर
तब
क्यों खाता है
पत्थर
ठोकर.
४-
पाँव
मनुष्य के
मारते हैं  ठोकर
हाथ
मनुष्य के
उठाते हैं
पत्थर
और
बना देते हैं भगवान्
इतना अंतर क्यों है?
एक ही मनुष्य के
पैर और हाथ में.
५-

नदी ने
पत्थर को
इधर उधर लुढ़काया
लेनी चाही परीक्षा
उसकी सहनशक्ति की
सहनशील पत्थर
शिव बन गया
आज
चढ़ाया जा रहा है जल
उसी नदी का.