शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

लगते हो अच्छे !

सच में कहूं 
बताऊ कैसे,
तुम मुझको 
लगते हो अच्छे !
बीता बचपन
जवां हुई यादें
दिन का हंसना
रात की बातें
हंसते मुख पर
दांत चमकते
जैसे मोती हों सच्चे !
तुम आते थे
फिर जाने को,
कह जाते थे
फिर आने को
कब तक होगी आवाजाही
बता भी देते
नहीं थे बच्चे !
बीता बचपन
आई जवानी
भूली बिसरी
वही कहानी
बिदा हुए तुम
उन यादों से
जिसमे आते थे  सज के.