सोमवार, 29 जुलाई 2013

मूंछ नहीं पूंछ

अफसोस !
मेरे एक पूंछ नहीं
मूंछ है
पूंछ होती तो हिला लेता
भ्रष्टाचार के महाकुंभ में
कुछ कमा लेता
मूंछ मूंछ होती है
आज के जमाने में
पूछ नहीं होती है
तभी तो
तमाम मूंछ वाले
मूंछे कटा कर
दुम बना कर
सत्ता के आगे पीछे
हिला रहे हैं
भ्रष्टाचार के कुम्भ में जा कर
पाप नाशनी गंगा में नहा कर
हर हर चिल्ला रहे हैं
जनता की कमाई हर कर 
खूब कमा रहे हैं। 

 

शनिवार, 13 जुलाई 2013

कुत्ते की मौत पर

मेरी गाड़ी से कुचल कर
एक कुत्ता मर गया
मैं दुखी था
कुत्ते की मौत पर
मगर  दुखी नहीं हो सकता था
क्योंकि,
मेरे मोहल्ले में
सभी धर्मों
और उनके अंदर
जातियों के लोग रहते हैं
और सेकुलर भी।

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

माँ का चैन

बच्चों के स्कूल खुल गए हैं,
माँ सुबह उठ कर
जल्दी कुल्ला मंजन कर
चौके में घुस गयी है
वह नाश्ता बनाती,
टिफ़िन पैक करती है
फिर
बच्चों को ड्रेस पहना कर
टिफिन बस्ते में ठूंस देती है
बच्चे
माँ के गालों को चूम कर
चिल्लाते हुए टाटा टाटा कह कर
चले जाते हैं
माँ पसीना पोंछती हुई
सोफ़े पर बैठती है
और ज़ोर से चैन की सांस लेती है ।
बच्चों के जाने के बाद
माँ क्यों लेती है
चैन की सांस !