मंगलवार, 24 जनवरी 2012

वसंत

मैं आजतक नहीं समझ पाया,
कि,
वसंत ऐसा क्यूँ होता है?
उसके आने से पहले
पेड़ पर पत्ते सूख जाते हैं,
अपनी साखों से झड़ जाते हैं।
फिर मादक वसंत आता है,
हरे पत्तों,
सुंदर सुंदर पुष्पों
और चारों ओर हरियाली के साथ
जग को हर्षाता है,
मन गुदगुदाता है।
मगर ऐसा क्यूँ होता है कि,
उसके जाने के बाद
ग्रीष्म ऋतु आती है
क्रोधित सूरज
आग उगलने लगता  है
वनस्पति, जीव और जन्तु
कुम्हला जाते हैं,
व्याकुल हो जाते हैं।
हे प्रकृति !
वासंतिक सौंदर्य का
यह कैसा प्रारंभ
यह कैसा अंत।

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