शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

राहगीर

राहगीर
जब चलने लगा
तो रास्ते ने उस से पूछा-
मित्र, मैं तुम्हारा साथ देता हूँ
तुम्हे राह दिखाता हूँ
और तुम हो
कि मुझे छोड़ कर जा रहे हो
क्यूँ मेरा साथ नहीं देते?
क्यूँ हम साथ साथ नहीं रहते?
राहगीर ने कहा-
तुम मेरे पथ प्रदर्शक हो
मुझे लक्ष्य तक पहुंचना है
मैं तुम पर चल कर अपने लक्ष्य पर पहुंचूंगा
इसलिए मुझे तो जाना ही होगा
लेकिन, तुम अकेले कहाँ हो?
अभी और राहगीर हैं
जो आएंगे, तुमसे रास्ता पाएंगे
आगे बढ़ने का.
तुम अगर मेरे साथ चलोगे
तो बेशक मैं राह पा जाऊँगा
अपनी मंजिल तक पहुँच जाऊंगा
लेकिन, बाक़ी का क्या होगा?
उन्हें रास्ता दिखाना
और मंजिल तक पहुंचाना है तुम्हे
इसे तुम तभी कर सकते हो
जब तुम यही रहो
मेरे साथ चल कर तो तुम
राह नहीं राहगीर बन जाओगे
ऐसे में
मार्गदर्शन के बिना
खुद तुम भी भटक जाओगे .

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