रविवार, 13 मई 2012

खेल

रोशनदान के नीचे बना घोंसला 
छोटी चिड़िया झांकती, इधर उधर देखती
उड़ कर कहीं जाती, लौट कर आती 
चोच में दाना या तिनका लिए 
रख कर फिर उड़ जाती या थोडा फुदकती इधर उधर 
नन्हा देख रहा है ध्यान से 
नन्ही चिड़िया के करतब और खुश हो रहा है 
रोशनदान की झिरी से 
धूप  का एक छोटा टुकड़ा झांकता है,
फिर बैठ जाता है घोंसले पर 
चिड़िया चीं चीं करने लगती है 
मानो कह रही हो हटो मेरे घोंसले से 
टुकड़ा नहीं मानता तो समझौता कर लेती 
खेलने लगती है उससे .
नन्हा देख रहा है सब 
वह भी खेलना चाहता है चिड़िया और धूप  के संग 
इसलिए बाजरे के थोड़े दाने लाकर 
चिड़िया को दिखाने लगता है-
आ आ कह नन्हे हाथों से बुलाने लगता है 
सशंकित चिड़िया कभी पास उड़ती, फिर दूर चली जाती 
यह कौतुक देख 
धूप का टुकड़ा भी नीचे सरक आता है, 
फर्श पर नन्हे के पास 
नन्हा धूप  को पकड़ने की असफल कोशिश करता है 
नन्हे को धूप के साथ खेलते देख 
चिड़िया नीचे उतर आती है 
बाजरे को चोंच से बटोर कर गले में धकेलती जाती है 
फिर उड़ जाती है अपने घोसले पर
फिर संतुष्ट चिड़िया 
झांक कर नीचे देखने लगती है 
नन्हे की धूप के साथ खिल खिल .
मिला लेती हैं साथ उनके
अपनी चीं चीं .

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