शनिवार, 14 अप्रैल 2012

ऐ पिता !!!

ऐ पिता !
तेरी बाँहें इतनी मज़बूत क्यों हैं
कि जब कोई बच्चा
हवा में उछाला जाता है
तो वह खिलखिलाता हुआ
उन्ही बाँहों में वापस आना चाहता है.
तेरी भुजाएं इतनी आरामदेह क्यों होती हैं
कि कोई बच्चा
इनमे झूलता हुआ सो जाना चाहता है
ऐ पिता !!
तेरी उंगलियाँ पकड़ कर
वह लड़खड़ाता हुआ चलना सीखता है
तेरी उंगलियाँ पकड़ कर बड़ा होना चाहता है
इतना बड़ा कि तेरे कंधे तक पहुँच सके.
मगर ऐ पिता !!!
इस बच्चे की बाँहें इतनी कमज़ोर क्यों होती हैं
भुजाएं इतनी कष्टप्रद क्यों होती हैं
कि कोई पिता इनमें समां नहीं पाता, आराम नहीं पा सकता
क्यों बेटे की उंगली
यह बताने के लिए नहीं उठ पातीं
कि वह मेरे पिता हैं.
क्यों ! क्यों !! क्यों !!!
ऐ पिता,
यह बात तो बेटा
उस समय भी समझ नहीं पाता
जब वह अपने बेटे को
हवा में उछाल रहा होता है
भुजाओं में समेटे सुला रहा होता है
उंगलिया पकड़ कर चलना सिखा रहा होता है.
ऐ पिता !
ऐसा क्यों होता है यह पिता ???

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