बुधवार, 14 दिसंबर 2011

समय, संदेश और पाँव

क्या समय किसी को छोड़ता है?
बेशक
समय सबको पीछे छोड़ता हुआ
बहुत आगे और आगे निकल जाता है.
हम लाख चाहें उसे पकड़ना,
उसके साथ साथ कदमताल मिलाना,
केवल उसका पीछा ही करते रह जाते हैं
उसके आँखों से ओझल हो जाने तक.
लेकिन समय का हर साथ
हमें एक सबक सिखा जाता है.
उसी ख़ास सबक के कारण
हम याद रखते उस समय को
जब हमें यह सबक मिला था.
         (२)
सुबह सुबह
पक्षियों का चहचहाना
ठंडी ठंडी हवा का बहना
पूरब से उषा की लालिमा का सर उठाना
संकेत है जीवन का
कि उठो,
चल पड़ो कर्तव्य पथ पर
पूरे करो उस दिन के अपने कर्तव्य
प्राप्त कर लो अपना लक्ष्य
इससे पहले कि
शाम हो जाए.
            (३)
जब हम
सड़क पर चलते हैं
हमारे दोनों पैर
ज़मीन पर होते हैं
हमें वास्तविकता का बोध कराते हैं
ताकि
सावधान रहे चलते हुए.
इसीलिए
जब हम गिरते हैं
तब लोग हंसते हैं हम पर
उस समय हमारे पाँव
हवा में होते हैं.

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