शनिवार, 10 दिसंबर 2011

नया साल पुराना साल

              नया साल
मैंने साल के
हर दिन को गिना है
उन्हें हफ़्तों और महीनों में पिरोया है.
फिर अनुभवों की तिजोरी में बंद कर
बही खाता बनाया है.
इस बही खाते में दर्ज है
हर सेकंड हर मिनट का हिसाब
कि पिछले साल मैंने क्या खोया और क्या पाया.
खोने ने मायूसी दी
और पाने ने ख़ुशी .
आज जब
बही खाता पलट रहा हूँ,
मायूसी से खुशी को घटा रहा हूँ
तो पाता हूँ कि
मुझे मायूसी का लाभ हुआ है
और खुशियों का घाटा
इसीलिए
गए साल की ओर पीठ पलटा कर मैं
नए साल को हैप्पी न्यू इयर कर रहा हूँ.

            पुराना साल
मैं व्यस्त था
नए साल का स्वागत करने
दोस्तों के साथ खुशियाँ मनाने की तैयारी में .
कुछ ही मिनट शेष थे
नए साल के आने में कि
पीछे से कोई फुसफुसाया- सुनो .
मैंने पलट कर देखा
होंठों पर फीकी मुस्कान लिए
उपेक्षित सा खड़ा था पुराना साल.
बोला- याद है
तीन सौ पैंसठ दिन पहले
तुमने इसी तरह
मेरा स्वागत किया था
अपने दोस्तों के साथ.
पर आज मेरी तरफ
तुम्हारी पीठ है.
मैंने कहा- जो बीत गया
जो साथ छोड़ रहा हो
उसे याद करना कैसा
यह तो रीत है.
फिर तुमसे मिला भी क्या?
पुराना साल बोला-
क्या तुम्हे याद है
पिछले साल आज के ही दिन
तुम्हारे साथ खुशियाँ मनाने वाले
कितने दोस्त आज साथ हैं?
कुछ साथ छोड़ गए,
तुमसे तुम्हारा कुछ न कुछ छीन कर.
मगर मैंने तुम्हे
कुछ दिया ज़रूर है
तुम्हे दुःख दिए तो खुशियाँ भी दी
तुम खुशियों में हँसे और दुःख में रोये
लेकिन, हर दुःख के साथ तुमने कुछ सीखा
आज तुम उस सीख के साथ
इस नए साल में कुछ बेहतर कर सकते हो
यह मेरी ही तो देन है
वैसे तुम कैसे कह रहे हो कि
मैं तुम्हारा साथ छोड़ रहा हूँ.
मुझसे मिले खट्टे मीठे अनुभव सदा तुम्हारे साथ हैं,
जो तुम्हे मेरी याद दिलाते रहेंगे.
इतना कह कर साल मुड़ कर चल दिया
जाते हुए साल की पीठ देखता मैं
उसे प्रणाम कर रहा था.

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