रविवार, 20 नवंबर 2011

भिखारन माँ

फटे गंदे कपड़ों वाली
मैली कुचैली भिखारन
उसके हाथों के बीच
छाती से चिपकी नन्ही बच्ची
बिलकुल गुलाब की कली जैसी
सुन्दर कपड़ों में लिपटी हुई
बरबस
ध्यान आकृष्ट कर रही थी
आते जाते लोगों का-
इस मैली भिखारन की गोद में                               
फूल जैसी गोरी बच्ची कैसे
कपडे भी देखो कितने सुन्दर हैं
एक का ध्यान गया तो दूसरे से कहा
ऐसे ही
काफी लोगों की भीड़ इक्कट्ठा हो गयी
किसकी हैं बच्ची ?
इसकी तो नहीं ही है.
कही से उठा लायी है,
तभी तो सुन्दर कपड़ों में है.
भिखारन को
सशंकित निगाहें
शूल सी चुभने लगीं
क्या यह लोग मुझसे
मेरी बच्ची छीन लेना चाहते हैं ?
इसलिए भागी
लोगों का शक सच साबित हो गया
वह पीछे पीछे दौड़े
पकड़ो पकड़ो !
बच्ची चोर को पकड़ो
कमज़ोर भिखारन भाग न सकी
पकड़ ली गयी
पोलिस आ गयी, पूछ ताछ करने लगी
मालूम पड़ा-
भिखारन के साथ
किसी अमीर शराबी ने बलात्कार किया था
बच्ची इसी बलात्कार की देन थी
अस्पताल में पैदा हुई
तो भिखारन
लोक लज्जा से ग्रस्त
संभ्रांत माताओं की तरह
उसे फेंक नहीं सकी
किसी कूड़ेदान में
यह सुन कर सभी स्तब्ध थे
कि तभी
भिखारन की आवाज़ गूंजी
यह मेरी प्यारी बेटी है
इसे मैं कैसे रख सकती हूँ
गंदे कपड़ों में .

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