गुरुवार, 10 नवंबर 2011

ढाबे के गुलाब

ये वह फूल नहीं हैं
जो चाचा नेहरु की
जैकेट के बटन होल से
टंगा नज़र आता है.
कहाँ
चाचा के दिल से सटा सुर्ख गुलाब
कहाँ
पसीने और गंदगी से बदबूदार
पीले चेहरे और खुरदुरे हाथों वाले
ढाबे पर बर्तन मांजते बच्चे !
उनके चारों ओर
रक्षा करने वाले गुलाब के कांटे नहीं
उन्हें बींध देने वाले
नागफनी काँटों की भरमार है.
ऐसे बच्चे
चाचा के गुलाब कैसे हो सकते हैं?
फिर,
क्या कभी किसी ने देखे हैं
चाचा की नेहरु जैकेट पर सजा
मुरझाया गुलाब?

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