रविवार, 4 सितंबर 2011

मेम और फादर

                मैम और फादर
ओ मेरे मास्टर जी,
हम छात्र तुम्हे मास्टर जी कहते थे,
टीचर जी नहीं.
इसके बावजूद
तुमने हमें टीच भी किया.
 इसी टीच यानि शिक्षा का परिणाम है
कि मैं ईमानदारी से नौकरी कर सका,
निष्ठा से अपना काम कर सका
मेहनत करके जन सेवा की.
पर अब कोई, 
मास्टर या मास्टरनी नहीं .
अब फादर या मैम हैं,
जो सिखाते हैं-
बच्चों आपसे कोई बड़ा नहीं,
आप सभी के फादर यानि बाप हो,
कोई हम नहीं  सभी 'मैं' हैं
जिनके आगे 'मैं' लगा हो,
वह मैम और क्या सिखाएंगी.
इसीलिए,
आज मैं की संख्या ज्यादा है,
जनता के सेवक कम
बाप ज्यादा हैं .

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