मंगलवार, 3 मार्च 2020

क्या ठीक होगा कि हाईकोर्ट का कोई जस्टिस १४ साल तक अपनी कुर्सी पर जमे रहे ?


जस्टिस मुरलीधर, दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले १४ सालों से जमे हुए थे. अमूमन एक सरकारी नौकर को किसी एक जगह पर ५ साल से ज्यादा नहीं रखा जाता. आईएएस/आईपीएस अधिकारियों को भी इस प्रकार के स्थानान्तरणों को झेलना पड़ता है. ऐसे में जस्टिस मुरलीधर में ऎसी क्या खासियत थी कि उन्हें १४ सालों तक दिल्ली हाईकोर्ट में ही बनाए रखा गया, जबकि दूसरे उच्च न्यायालय भी देश में हैं ? यह जांच का विषय बनता है कि जस्टिस के ट्रान्सफर पर दिल्ली के वकील क्यों आंदोलित थे? जैसा कि माहौल बनाया जा रहा है कि उन्हें दिल्ली रायट के मामले में उनके निर्णय पर ट्रान्सफर किया गया, यह जांच का विषय है कि किस व्यक्ति या संस्था को जस्टिस के दिल्ली में भी बने रहने में दिलचस्पी थी. खुद cji को इसकी जांच करानी चाहिए ताकि न्यायालय की गरिमा को इस प्रकार के किसी ट्रान्सफर से आगे आंच न आये.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें