एक धूप होती है
जमीन से उठ कर
चढ़ती जाती है
राहगीर के सर तक
ग्रीष्म मे यह धूप
व्याकुल कर देने वाला ताप देती है
फिर धराशायी हो जाती है
शरद ऋतु में धूप
नर्म ताप देती है
राहत देने वाला
यह धूप भी
धराशायी हो जाती है
पर यात्री को
प्रतिक्षा रहती है
शरद की धूप की।
तुम क्या हो ?
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