रविवार, 15 सितंबर 2019

पांच हाइकू

घने बादल

लो सूर्यदेव झांके

आशा किरण।



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आकाश पंछी

छूना चाहे क्षितिज

लौट आना है।



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बहती हवा

उड़ती घटाएं भी

मनुष्य जैसे।



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सड़क गीली

घर- बाहर तक

तन भी गीला । 



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वृक्ष कहाँ हैं

चिड़िया बोले कैसे

हमारा घर।  

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