एक बार विद्वान के पास एक खूबसूरत महिला पहुंची और उसने उनके सामने शादी
का प्रस्ताव रखते हुए कहा, "आप मुझसे शादी कर लीजिये. इस प्रकार से जो
बच्चे पैदा होंगे वह आपकी तरह जीनियस और मेरी तरह खूबसूरत होंगे.
विद्वान ने तपाक से जवाब दिया, "मोहतरमा,
अगर इसका उलटा हुआ तब !"
शायद, उस समय तक दुनिया में भारत देश की कांग्रेस
पार्टी की शोहरत नहीं पहुंची थी. अन्यथा, वह महिला
कहती, "मैं कांग्रेस की प्रवक्ता बन जाऊंगी"
मेरी इस बात का ज्वलंत उदाहरण कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी
हैं. यकीन कीजिए, जब वह टीवी पर बोलती होती है,
तब मैं टीवी का वॉल्यूम बिलकुल धीमा कर देता हूँ. सुनने से क्या फायदा !
ऐसा ही तो बोलती हैं, जैसा कल बोल रही थी. मुलाहिजा फरमाइए-
"प्रधान मंत्री मोदी जी ने पाकिस्तान के स्थापना दिवस पर पाकिस्तान
को बधाई दी है. जबकि, दिल्ली में पाकिस्तान दिवस पर मनाये जाने
वाले जश्न का वहिष्कार किया है. मोदी जी बताएं, "क्या
उन्होंने पाकिस्तान को बधाई दी? अगर दी तो
पाकिस्तान दिवस का बहिष्कार क्यों किया ?"
पता नहीं कैसी नेताइन हैं प्रियंका. वह इतना भी नहीं जानती पाकिस्तान का
मतलब आतंकवादियों और भारत के दुश्मनों का देश नहीं होता. वह भारत से टूट कर निकली
आबादी का देश हैं. पाकिस्तान को बधाई देना, उसकी जनता
को बधाई देना है. खुद आपके सैम पित्रोदा ने ही कहा है कि आठ आतंकी खून खराबा करते
हैं तो उसके लिए पाकिस्तान कैसे जिम्मेदार (हालाँकि, मैं उनकी इस
बात से सहमत नहीं हूँ) !
अब रही बात पाकिस्तानी दूतावास के समारोह के बहिष्कार की बात तो शायद
प्रियंका ने दिमाग नहीं लगाया कि इस समारोह का बहिष्कार इस लिए किया गया कि
पाकिस्तानी राजदूत ने कश्मीर के अलगावादियों और देश के गद्दारो को भी आमंत्रित
किया था. उनके साथ चाय पानी पीना पाकिस्तान की जनता से मिलना नहीं,
बल्कि देश द्रोहियों से मिलना होता.
वैसे जाने दीजिये प्रियंका चतुर्वेदी, आप इसे
समझना भी नहीं चाहेंगी. आपके दल में तो हफीज सईद को सम्मान देने वाले नेता हैं.
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