मंगलवार, 1 जनवरी 2013

न्यू इयर सेलिब्रेशन

नया साल सेलिब्रेट करने
निकले  थे कुछ लोग
नाचते रहे रात भर
डिस्को पर
झूमते रहे पी कर
पब में
जैसे ही बजा बारह का घंटा
बुझी और जली रोशनी
गूंज उठा  खुशियों भरा शोर
चढ़ गया  नशे का सुरूर
कुछ ज़्यादा थिरकने लगे थे
लड़खड़ाते पाँव ।
सेलिब्रेशन खत्म हुआ
सिर पर चढ़े नशे के साथ
लड़खड़ाते पैर
रोंद रहे थे सुनसान सड़क
तभी निगाह पड़ी
ठंड से काँपते अधनंगे शरीर पर
देखने से पता लग रहा था
शरीर जवान है-शायद अनछुवा भी
शराबी आँखें गड़ गयी जिस्म के खुले हिस्सों पर
आँखों आँखों में बाँट लिए अपने अपने हिस्से
नशे से मुँदती आँखों पर
चढ़ गया जवानी का नशा
गरम लग रहा था काँपता शरीर
घेर लिया दबोच लिया उसे
कामुकता भरे उत्साह से
उछलने लगे उसके शरीर के चीथड़े
बोटी तरह नुचने लगा शरीर
कामुक किलकारियाँ और हंसी
डिस्को कर रही थी दर्द भरी चीख़ों के साथ
शायद बहरे हो चुके थे आसपास के कान
न जाने कितनी देर तक
मनता रहा हॅप्पी न्यू इयर
जब खत्म हुआ
दरिंदगी का उत्सव
फूटपाथ  पर रह गया
कंपकँपाता शरीर 
जिसे दरिंदों की तरह
ज़्यादा कंपा रही थी शीत लहर ।





 

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