सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

दिवाली

छूटते पटाखे
जलती फुलझड़ियाँ और अनार
आसमान पर थिरकती हवाई
ज़मीन पर नाचती चक्री
देख रहा है मुन्ना
जलते दीपकों के बीच
झिलमिला रही हैं आंखे।
(2)
बड़ी दियाली
छोटी दियाली
अगल बगल
दोनों में जलती बाती
आनंद ले रहीं
अंधेरे के बिखरने का
तभी
बड़ा दीपक इतराया
ज़ोर से लहराया/और बोला-
ऐ छोटी डर नहीं
मेरे नीचे छिप जा
मैं बचा लूँगा तुझे
हवा नहीं बुझा पाएगी तुझे 
कि तभी,
हवा का तेज़ झोंका आया
सम्हलते सम्हलते भी
बड़े दीपक की बाती बुझ गयी
लेकिन,
छोटी दियाली
अंधेरा भगा रही थी
उस समय भी।

(3)
दीवाल पर
मुन्ना के नयनों में
दीपक जले।

(4)
 

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